हिंदुओं के सामने चुनौती: खिलाफत


श्याम सुन्दर पोद्दार  


महात्मा गांधी के कांग्रेस में प्रवेश के साथ ख़िलाफ़त वाले अलीगढ़ी ग्रुप मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना शौक़त अली, मौलाना आज़ाद वग़ैरह का कांग्रेस में प्रवेश इज्जत से हो गया।  ख़िलाफ़त आन्दोलन का असली उद्देश्य भारत वर्ष पर इस्लामिक शासन प्रतिष्ठित करना था। टर्की के प्रधान को इस्लामी जगत का ख़लीफ़ा बनाना नहीं। अली भाइयों का उद्देश्य था, कांग्रेस की हिंदू और मुस्लिम एकता ख़िलाफ़त के नाम पर अंगरेजों के बिरुद्ध माहौल बनाएगी तथा अफ़ग़ानिस्तान का आमिर भारत पर आक्रमण करेगा। अंग्रेजों क़ी पराजय होगी तथा भारत में इस्लामिक अफ़ग़ानी राज्य स्थापित होगा। इस तरह के राज्य को गांधी का समर्थन भी प्राप्त था। अफगनिस्तान का आमिर हिंदुस्तान का सम्राट तो नही बन सका, बच्चा  साक़ु ने उसे गद्दी से अवश्य उतार दिया। ख़िलाफ़त आन्दोलन तो टांय टांय फ़ीस्स हो गया पर मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना आज़ाद गांधी की कृपा से कांग्रेस के अध्यक्ष  ज़रूर बन गए। मौलाना मोहम्मद अली ने 1913 में अपना उद्देश्य साफ़ कर दिया था। उत्तर भारत मुसलमानों को दे दो, दक्षिण भारत हिंदुओं को और भारत का विभाजन कर दो। ये ख़िलाफ़त वाले कांग्रेस में देश को अंग्रेजों से स्वाधीन कराने नही आए थे। गांधी के कांग्रेस पर नियंत्रण होने से 1924 में मोहम्मद अली कांग्रेस के अध्यक्ष बन गये तथा मौलाना आज़ाद वरिष्ठ नेता बन गए कालांतर में कांग्रेस के अध्यक्ष भी वर्षों तक रहे।


मोहम्मद अली हो या मौलाना आज़ाद इनका उद्देश्य कांग्रेस में रह कर पाकिस्तान कैसे बनाएं इसी दिशा में कार्य करते रहे। मौलाना आज़ाद ने मुस्लिम राष्ट्र की कल्पना की:1927 में कांग्रेस नेता मौलाना आज़ाद ने कलकत्ता में मुस्लिम लीग के सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए,”मुस्लिम प्रभुत्व वाले पांच राज्यों के निर्माण का लाभ बताया। यह योजना मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए एक अच्छा उपाय है। यदि हिंदू प्रभुत्व वाले राज्यों में मुसलमानो के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है, तो मुसलमानो को मुस्लिम प्रभुत्व वाले राज्यों में हिंदुओं से बदला लेने का अवसर मिलेगा।....अब हम मुस्लिमों के पास हिंदुओं के नौ राज्यों की तुलना में पांच राज्य होंगे। मुस्लिम इन पांच राज्यों में जैसे-को-तैसा नीतिअपना सकते हैं। (पेज-69, डॉक्टर अम्बेडकर ऑन मायनॉरिटीज पुस्तक -लेखक -श्री प्रकाश सिंह)।  मौलाना आज़ाद के दिखाए मार्ग पर बैरिस्टर व कवि सर मोहम्मद इक़बाल के सभापतित्व  में इलाहाबाद शहर में मुस्लिम लीग का राजनैतिक सम्मेलन 29 दिसम्बर 1930 को आरम्भ हुआ। मुस्लिम होमलैंड  की मांग करते हुए  मोहम्मद इक़बाल ने प्रस्ताव में कहा,” I would like to see Punjab, North-West Frontier Province,   Sindh, Baluchistan amalgamated  into a single state, self Government with in the  British Empire or without British Empire.  The formation  of Consolidated North-West Indians Muslim state appears to me to be the final destiny of Muslims at least  of North West India.” 


मुस्लिम लीग के इलाहाबाद में सम्मेलन समाप्त होने के दूसरे दिन 1 जनवरी 1931 कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद अली ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को इस प्रकार का टेलीग्राम भेजा, “The real problem before us is to give full power to Muslims in such provinces as those in to which they are in majority. Unless in these provinces Muslim Majorities  are established by new constitution. I submit not as a threat but as a very humble and friendly warning,there will be a civil war”.  अर्थात  मुस्लिम लीग के प्रस्ताव के अनुसार मुस्लिम होम लैंड नहीं मिला तो गृह युद्ध होगा यह धमकी भी दे डाली। जब गवर्नमेंट आफ इंडिया ऐक्ट 1935 के तहत बम्बई प्रेज़िडेन्सी से अलग करके सिंध प्रांत का निर्माण किया गया। तब अपने समाचार पत्र “आल-हलाल” के सम्पादकीय में मौलाना आज़ाद ने लिखा,”यह दिन भारतीय मुसलमानों के लिए स्वर्णिम दिन है। इसने पश्चिम में मुस्लिम  मेजोरिटी स्टेट की लगातार शृंखला खड़ी कर दी है। जिसे किसी दिन मुसलमान अपनी होम लैंड के रूप में मांग सकते हैं।”  


मौलाना आज़ाद ने बनाया मुस्लिम लीग को मज़बूत                                              


1937 के प्रांतीय असेम्बली के चुनाव में मुस्लिम लीग को पंजाब में 99 में 1, सिंध में 34 में शून्य, सरहदी प्रदेश में 36 में शून्य, संयुक्त प्रदेश में 65 में 26, असम में 39 में 10, बिहार में 40 में शून्य, बंगाल में 119 मुस्लिम सीटों में 40 सीट मिली। कहीं भी सफलता नहीं मिली। बंगाल में कांग्रेस को 61 सीट मिली तथा फ़ज़लुल हक़ की कृषक मज़दूर प्रजा पार्टी को 34 सीट मिली। बंगाल कांग्रेस क़मेटी के अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने फ़ज़लुल हक़ के साथ सरकार बनाने का समझौता कर लिया। जिसे गांधी ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी। मौलाना आज़ाद ने यह कह कर कि यदि ऐसा हुआ तो बृहत्तर मुस्लिम समाज कांग्रेस से नाराज हो जाएगा, गांधी का मन बदल दिया और फ़ज़लुल हक़ को मजबूर कर दिया कि मुस्लिम लीग की शरण में जाए। इसके बाद मुस्लिम समाज अन्य मुस्लिम दलों को वोट नही देकर मुस्लिम लीग को वोट देने लगा कि अंत में ये जब मुस्लिम लीग के साथ ही सरकार बनाएंगे तो क्यों नहीं मुस्लिम लीग को ही वोट दें। 1945 के केंद्रीय असेम्बली के चुनावों में 93 प्रतिशत मतों के साथ मुस्लिम लीग ने 30 की 30 सीट जीत ली।कांग्रेस में रह कर मुसलमानो को पाकिस्तान दिलवाने के बाद पाकिस्तान जाते मुसलमानो को मौलाना आज़ाद ने यह कहकर खंडित भारत में रोका,  “भारत जैसा देश जो पहले इस्लामी प्रशासन के अंतर्गत था, इस्लाम के लिए उसे पुनः अपने अंतर्गत करना आवश्यक है”(इस्लाम के तीन सिद्धांत, लेखक डॉक्टर राधे श्याम ब्रह्मचारी,पेज-50) इसको प्राप्त कैसे किया जाय।


मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के चेयरमैन मरहूम अलिमिया ने मुस्लिम स्त्रियों के लिए आदेश दिया,”Muslim woman to use their wombs as weapon i.e. to give birth  to many children to outnumber non- Muslims and make India Muslim Majority  as early as possible. Then they won’t even have to fight. India will be Islamic state by democratic process  by the sheer  number of Muslims votes”(दी इस्लामिक वर्ल्ड व्यू - लेखक-  सुजाता हज़ारिका एवं रम्या मुरलीथरन ,पेज-23) मरहूम अली मियां के इस आदेश का मुस्लिम औरतों ने ईमानदारी से पालन किया।  भारत बिभाजन के बाद खण्डित भारत में रह गए मुसलमानों की संख्या 1947 में 2.5 करोड़ थी जो 2011 की जनगणना  में 6 गुणा बढ़ कर 15 करोड़ हो गयी। जबकि हिंदुओं ( जैन, बुद्ध, सिख मिलाकर) की जनसंख्या 1947 में 28 करोड़ से पाकिस्तान से 1.4 करोड़ शरणार्थी आने के बाद 29.4 करोड़ थी जो लगभग तीन गुणा बढ़ कर 85 करोड़ के पास पहुची है। मौलाना आज़ाद व अली मियां का सपना आज के हिंदू समाज की युवा पीढ़ी कभी पूरा नही होने देगी। मुसलमानो का संग्रामी स्वरूप यदि जिहाद के रूप में आतंकवाद है। तो हिंदुओं का संग्रामी स्वरूप श्री लंका का लिट्टे है। पहले भी शिवाजी थे। संयुक्त भारत के मुसलमानों ने कहा था कि उनका इस्लाम उन्हें काफिर हिंदुओं के साथ रहने की इजाजत नही देता है। आज के भारत के सौ प्रतिशत मुसलमानों ने पाकिस्तान की मांग के समर्थन में वोट देकर 23 प्रतिशत थे 30 प्रतिशत ज़मीन पाकिस्तान के नाम पर ले ग़ये। पर वहां गए नहीं बल्कि इस खंडित भारत को अपनी जनसंख्या बढ़ा कर इसलामिस्थान बनाने में लगे हैं। लेकिन अगर यहां रहना है तो तुम्हारे हक़ की ज़मीन जो पाकिस्तान में है वह लाओगे तभी यहां रह पाओगे। हम नही भूले हैं हमारे 20 लाख हिंदुओं की शहादत को। करोड़ों का घर बार छूटने को। अब फिर से हिन्दू जाति को बर्बाद नही होने देंगे।


                                                                                                लेखक हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं