अमर शहीद भगत सिंह के जीवन से जुड़ी ढेर सारी ऐसी अनकही कहानियां हैं, जिन्हें हमें जानना चाहिए। स्वतंत्रता आंदोलन के इस महानायक का आज जन्मदिन है। शहीद ए आजम के जीवन से जुड़ी कई बातों और घटनाओं को याद भी किया जा रहा है फिर भी बहुत कुछ ऐसा है जिनका जिक्र कम किया जाता है। उनके जीवन के कई पक्ष हैं जो ज्यादातर लोगों के लिए आज भी अनजान है। उनके विचार, लेखन व जीवन पर प्रकाश डालते ऐसे ही 10 तथ्यों पर एक नजर।
- भगत सिंह का जन्म पंजाब के एक ऐसे परिवार में हुआ जिसके सदस्य सामाजिक और राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे। उनके दादा अर्जुन सिंह स्वामी दयानंद द्वारा चलाए गए आर्य समाज (Arya Samaj) आंदोलन से प्रभावित थे। भगत सिंह के पिता किशन सिंह भी राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े थे। उनके दोनों चाचा अजित सिंह और स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय आंदोलन में भाग ले चुके थे। चाचा अजित सिंह को मजबूरन देश छोड़ना पड़ा था और 38 साल तक वह विदेशो में रहकर राष्ट्रीय आंदोलन की अलख जगाते रहे।
- अधिकतर सिख बच्चों की तरह भगत सिंह ने लाहौर (Lahore) के खालसा स्कूल में दाखिल नहीं लिया। भगत सिंह के दादा को स्कूल कर्मचारियों का ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी भरा रवैया पसंद नहीं था। भगत सिंह का दाखिला दयानंद एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल में किया गया।
- भगत सिंह के जीवन पर 'जलियांवाला बाग नरसंहार' सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाली घटना थी। यह जनसंहार जिस वक्त हुआ उस वक्त वह 12 साल के थे। जलियांवाला बाग नरसंहार के कुछ घंटों बाद ही भगत सिंह घटना स्थल पर पहुंचे थे।
- 1923 में भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया था। वह कॉलेज की सांस्कृतिक और बौद्धिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। 1923 में उन्होंने पंजाब हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित एक निबंध प्रितियोगिता भी जीती थी।
- कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने नौजवान भारत सभा का गठन किया था। आगे वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य भी बने। जिसमें उस दौर के बड़े चंद्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल और शहीद अशफाकउल्ला खान जैसे क्रांतिकारी जुड़े थे।
- परिवार की तरफ से शादी का दवाब पड़ा तो भगत सिंह घर छोड़कर कानपुर भाग गए थे।
- भगत सिंह ने कई उर्दू, पंजाबी अखबारों के लिए लेख लिखे। उन्होंने किरती किसान पार्टी की पत्रिका 'किरती' के लिए भी लेख लिखे।
- भगत सिंह ने सिर्फ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग ही नहीं लिया बल्कि क्रांति का पूरा दर्शन गढ़ा। वह समाजवाद और रूसी क्रांति से प्रभावित थे। लेनिन और मार्क्स के विचारों का भी उनके जीवन पर गहरा प्रभाव रहा। वह ईश्वर और धर्म की अवधारणा में विश्वास नहीं करते थे। वह नास्तिक थे। यह भगत सिंह के सामजावादी विचारों का ही प्रभाव था कि 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के नाम में 'सोशलिस्ट' जुड़ा था जिसके बाद यह संगठन 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' ने नाम से जाना गया।
- भगत सिंह को पढ़ने का बहुत शौक था जेल में भी उनका अध्ययन जारी रहा। भगत सिंह राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र, साहित्य से जुड़ी कई किताबें पढ़ीं।
- अपने अंतिम दिनों में भी भगत सिंह ने लिखना नहीं छोड़ा। उनकी जेल नोटबुक इस बात की गवाह है जेल में भी उनका चिंतन जारी रहा। अपनी फांसी से कुछ मिनट तक पहले वह लेनिन पर लिखी एक किताब पढ़ रहे थे।