राम जेठमलानी पर जज भी रहते थे फिदा


भारतीय कानून जगत के 'भीष्म पितामह' कहे जाने वाले दिग्गज वकील और राजनेता राम जेठमलानी का रविवार सुबह 7.45 बजे 95 साल की उम्र में निधन हो गया। अपने बेबाक बयानों और दिलचस्प शख्सियत के कारण जेठमलानी कोर्ट ही नहीं, राजनीतिक गलियारों में भी खासे लोकप्रिय रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने अपने सीनियर रहे जेठमलानी को सोने के दिल वाले इंसान के तौर पर याद किया है।


14 सितंबर 1923 को पैदा हुए जेठमलानी ने अपने 96वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले ही आखिरी सांस लीवह अतिरिक्त प्रतिभाशाली वकील थे और बेहद तेज याददाश्त वाले इंसान भी रहे। उन्होंने कई बड़ी कानूनी लड़ाइयां लड़ीं और जीतीं। वह साहित्य से प्रेम करनेवाले और राजनीति के लिए लालायित रहनेवाले लीडर थे। उनकी दिनचर्या में रोज शाम कुछ देर बैडमिंटन खेलना और उसके बाद मिलने आए खास दोस्तों के साथ ड्रिंक्स शामिल था। जिंदगी के प्रति उनका प्यार उनके दोस्तों के लिए हमेशा आकर्षण का कारण रहा।


17 साल की उम्र में उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली और पाकिस्तान में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। बॉम्बे में एक शरणार्थी के तौर पर पहुंचे और फिर वहां नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू की और वहां से एक महत्वपूर्ण सफर तक पहुंचे। पहली बार वह चर्चा में नानावटी केस से आए और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह देश के सबसे बेहतरीन वकीलों में से एक माने जाते थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई बड़े और हाई प्रोफाइल केस लड़े और उन्‍हें जीता भी। जेठमलानी दिग्गज वकील होने के साथ-साथ केंद्रीय कानून मंत्री भी रहे थे।


जेठमलानी के पिता बोलचंद गुरमुख दास जेठमलानी और दादा भी वकील थे। शायद यही वजह थी कि उनका झुकाव भी वकालत के पेशे की ओर हुआ। पाकिस्तान बनने के बाद वहां हालात खराब हो रहे थे और राम जेठमलानी अपने एक दोस्त की सलाह पर मुंबई आ गए।


जेठमलानी ने मुंबई और दिल्ली के कोर्ट में कई स्मगलर्स के केस की भी पैरवी की। अपनी दलीलों के दम पर वह ज्यादातर केस में जीतते रहे। कहा जाता है कि राम जेठमलानी बेहद जिद्दी स्वभाव के थे। वह किसी भी केस पर काफी मेहनत करते थे। वह आजाद भारत के सबसे महंगे वकीलों में से एक थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी फीस एक करोड़ रुपए तक हो गई थी। ​ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कोई भी वकील आरोपियों सतवंत सिंह और केहर सिंह के लिए पैरवी करने को तैयार नहीं था। उस वक्‍त राम जेठमलानी ने ही इस केस को अपने हाथ में लिया था।


​मुंबई के डॉन हाजी मस्तान के कई मुकदमों की राम जेठमलानी ने पैरवी की थी। इसके अलावा वह उपहार सिनेमा अग्निकांड में आरोपी मालिकों अंसल बंधुओं की तरफ से और 2G घोटाले में डीएमके नेता कनिमोझी की तरफ से पेश हुए थे। यही नहीं, चर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में अमित शाह की तरफ से अदालत में हाजिर होने वाले जेठमलानी ही थे। चारा घोटाले से जुड़े मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का केस भी उन्‍होंने ही लड़ा। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के लिए जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की तो संसद पर हमले में फांसी की सजा पा चुके अफजल गुरु का केस भी जेठमलानी ने ही लड़ा जिस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार अफजल गुरु को वकील नहीं मुहैया करा रही है।


वह हमेशा जीतने के लिए लड़ते थे और उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की थी कि लोग क्या कहेंगे। वह बहुत-बहुत परिश्रमी थे। उनकी कॉन्फ्रेंस सुबह शुरू होती थीं और वह दिन भर बिना थके लगातार जुटे रहते थे। उनकी ऊर्जा युवा वकीलों को शर्माने के लिए मजबूर कर देती थी। राम के विरोधी उनसे डरते थे और न्यायधीश उन पर फिदा थे। बाद में उन्होंने खुद को बेहरतीन संवैधानिक वकील के तौर पर भी बदला।


उनमें यह साहस था कि वह बहुत अलोकप्रिय केस को भी हाथ में लेते थे। उन्होंने अफजल गुरु का बचाव किया, जबकि आम जन की भावना इसके खिलाफ थी। उन्होंने जेसिका लाल मर्डर केस में मनु शर्मा का बचाव किया। स्टॉक मार्केट केस में हर्षद मेहता और केतन पारेख का बचाव किया और अपनी आलोचनाओं से बिल्कुल बेपरवाह रहते थे। उन्होंने जे. जयललिता,  जगनमोहन रेड्डी,  बीएस येदियुरप्पा,  रामदेव और आसाराम बापू के केस भी लड़े।