पंघाल के मुक्के का कमाल



देवांश त्यागी
मुक्केबाजी की वैश्विक रिंग में भारतीय पंच फिर से एक बार हरियाणा के अमित पंघाल ने लगाया है। हरियाणा के लोग अपनी सभ्यता, परंपरा और मेहनत के बीज को कुछ यूं बोते हैं, कि पूरा देश तरक्की से हरा-भरा हो जाता है। खेलों में तो इस राज्य का कोई सानी नहीं। कुश्ती से लेकर निशानेबाज और मुक्केबाजी तक यहां के लाल अपने पसीने को पदकों में बदलने में हमेशा से आगे रहे हैं।
विदेशी जमीनों पर तिरंगा लहराने के मामले में भी यहां के खिलाड़ी सबसे आगे रहते हैं। रूस के एकातेरिनबर्ग में खेले जा रहे वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शनिवार को अमित पंघाल ने भी कुछ ऐसा ही कमाल करते हुए इतिहास रच दिया। 16 अक्टूबर 1995 को हरियाणा के रोहतक जिले में जन्में अमित बॉक्सिंग के इस सबसे बड़े इवेंट में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बन गए हैं। भारतीय सेना में नायेब सूबेदार अमित को 52 किग्रा फ्लाईवेट कैटेगिरी के फाइनल में उजबेकिस्तान के मुक्केबाज शाखोबिदीन जोइरोव से हार का सामना करना पड़ा बावजूद उन्होंने भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया।
अमित का जन्म हरियाणा में रोहतक जिले के मयाना गांव में हुआ। पिता विजेंदर सिंह पेशे से किसान हैं। घर में बचपन से ही उन्हें मुक्केबाजी का माहौल मिला। बड़े भाई अजय बॉक्सिंग किया करते थे। बताया जाता है कि बड़े भाई अजय ने ही अमित को बॉक्सिंग के लिए प्रेरित किया। बड़े भाई अजय सेना में हैं। 
अमित ने भी उनकी सलाह को मानते हुए जी-तोड़ मेहनत की और देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस सफलता का पहला श्रेय अमित अपने अग्रज को ही देते हैं। बकौल अमित, 'मेरे बड़े भाई अजय श्रेय के हकदार हैं। वह वास्तव में मेरे लिए सबसे अच्छे कोच हैं। वह हमेशा मेरे लिए रणनीति बनाते और मैं कोशिश करता हूं कि हर मुकाबले से पहले उनसे बात करूं। अजय खुद एक बेहतरीन मुक्केबाज थे, लेकिन परिवार दोनों भाईयों में से किसी एक ही ट्रेनिंग का खर्च वहन कर सकता था, तब वह अजय ही थे, जिन्होंने सामने आकर अपने छोटे भाई अमित को प्रशिक्षण दिलाने पर जोर दिया।