हाजीपुर, पूर्व मध्य रेल राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा पखवाड़ा के आयोजन के क्रम में कभी दिलीप कुमार की कविताओं का एकल पाठ का कार्यक्रम आयोजित किया गया । मुख्य राजभाषा अधिकारी और कवि नरेश प्रसाद सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित एकल काव्य पाठ गोष्ठी में कवि दिलीप कुमार ने अपनी पुस्तक अप डाउन में फंसी जिंदगी से कई कविताओं का पाठ किया । रेल विभाग के कनीय कर्मचारी गैंगमैन को समर्पित कविता को श्रोताओं ने खूब सराहा- भरी दुपहरी में/दहकता हुआ सूरज/समा गया रेल की पटरियों में/ पैरों में पड़ गए हैं छाले/चौंधिया गई हैं आंखें/फिर भी/पटरियों की देखरेख का क्रम जारी है/उसका समर्पण/ सूरज की तपिश पर भारी है । रेल कर्मियों को समर्पित एक दूसरी कविता में उन्होने कहा -समय से रेस लगाते देखा/ गाते और गुनगुनाते देखा/अपनी मंजिल की खैर नहीं/ सबको मंजिल पर पहुंचाते देखा/ आंधी-तूफान से लड़ते देखा/बारिश की बूंदों से झगड़ते देखा/सपाट चेहरा, पथरीली आंखें /सपनों को सदा उमड़ते देखा । वैशाली एक्सप्रेस कविता में रेलवे के लोको पायलटों की जिंदगी पर फोकस करते हुए कवि ने कहा - अपने हौसले से तुम खींचते रहे/ हजारों यात्रियों के सपने / फिर तुम्हारी जिंदगी / रनिंग रूम में ठहर गई / वैशाली एक्सप्रेस आगे बढ़ गई । बारिश की पानी कविता में वह सवाल करते हैं- मौका मिला है तो अपना बचपन वापस क्यों नहीं पाते, पानी में चलाने को कागज की कोई नाव क्यों नहीं बनाते । उन्होंने दिल्ली जाने वाली सड़क, सरदार सरोवर में डूबे पेड़, बारिश का पानी, फॉग सिग्नल मैन, भटके लोगों का कोरस, खेलाड़ी, सिस्टम सहित अनेक दूसरी कविताओं का भी पाठ किया । अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुख्य राजभाषा अधिकारी नरेश प्रसाद सिन्हा ने कहा कि अपनी भाषा में ही मौलिक चिंतन हो सकता है । विदेशी ताकतों के षड्यंत्र के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था नष्ट हुई और हमारी भाषा एवं संस्कृति को दोयम दर्जे का साबित किया गया । आर्थिक गुलामी के साथ-साथ हमें मानसिक गुलामी भी झेलनी पड़ी । हमारा अंग्रेजी से द्वेष नहीं है, मगर हम यह भी स्वीकार नहीं कर सकते कि कोई दूसरी भाषा और कोई दूसरी संस्कृति हमारे वजूद को नष्ट करे । उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार की कविताएं जीवन से सहजता के साथ जुड़ी है क्योंकि वह एक कवि की देखी, जानी और भोगी हुई सच्चाई है । इस अवसर पर मुख्य कार्मिक अधिकारी,प्रशासन सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि अप- डाउन में फंसी जिंदगी की कविताएं ईमानदार कविताएं हैं । कवि ने जिस भाव को शब्दों में पिरोया है, उसी भाव को जिया भी है । उन्होंने कहा कि स्वाभाविकता और मौलिकता दिलीप कुमार की कविताओं की पहचान है । ये कविताएं अपने आप में मिसाल और मशाल हैं । रेलवे अधिकारी और कथाकार अशोक कुमार प्रजापति ने कहा कि दिलीप कुमार की कविताएं आम जन से संवाद करती हैं और समाज के सबसे पिछली पंक्ति में खड़े लोगों की प्रतिनिधि हैं । वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी अशोक कुमार श्रीवास्तव ने दिलीप कुमार की कविताओं को संवेदनशीलता से परिपूर्ण बताया । साहित्यकार शैलेंद्र जी ने कहा कि आज जबकि हमारे समाज और संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे हैं, दिलीप कुमार की अनुभवजनित कविताएं हमें नई ऊर्जा प्रदान करती हैं और भीड़ में होने के बावजूद अकेले खड़े सत्य का साथ देने के लिए प्रेरित करती हैं। काव्य पाठ सत्र का संचालन वरिष्ठ कवि राजकिशोर राजन ने किया । गोष्ठी में रवि कुमार, जितेंद्र सिंह, समर कुमार, सुमन कुमार वर्मा, सत्य प्रकाश आदि मौजूद रहे ।
पानी में चलाने को कागज की कोई नाव क्यों नहीं बनाते