सुनीत गुप्ता
सम्भवतः दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने नियत समय पर ही हो। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में हरियाणा, महाराष्ट्र के साथ ही यहां भी चुनाव होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। चुनाव जब भी हो, दिल्ली के तीनों मुख्य राजनीतिक दलों ने इसके लिए कमर कस ली है। सत्ताधारी दल, आम आदमी पार्टी (आप) लगातार फ्री सेवाओं की घोषणा कर राजधानीवासियों को लुभाने का प्रयास कर रही है। हालांकि मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा वाली घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। भाजपा मोदी के नाम और केंद्र सरकार के कार्यों के साथ-साथ केजरीवाल के वादों का पोल खोलने में लगी है। वहीं कांग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से उबर नहीं पा रही है।
दिल्ली कांग्रेस का संकट गहरा है। संकट तो राष्ट्रीय स्तर पर भी है। लेकिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने जा रहा है। इसलिए यहां ज्यादा है। लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से एक उम्मीद जगी थी। उनके निधन के बाद उम्मीद की वह लौ ही बुझ गई। उनके निधन के डेढ़ महीने बाद भी अध्यक्ष की तलाश पूरी नहीं हो पाई है।
सोनिया गांधी और दिल्ली प्रभारी पीसी चाको अध्यक्ष की तलाश में कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। जिला अध्यक्षों के अलावा दिल्ली के बड़े नेताओं से सोनिया खुद मिल चुकी हैं। 27 अगस्त को 10 जनपथ पर फाइनल बैठक भी हुई। मगर नतीजा नहीं निकला। पार्टी सूत्रों के मुताबिक बैठक में सात नामों पर चर्चा हुई है। मगर 15 दिन बाद भी राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं कर पाया है। अरविंदर सिंह लवली, राजेश लिलोठिया, राजकुमार चौहान, महाबल मिश्रा, हारूण यूसुफ आदि के नामों पर चर्चा हुई है। लवली पंजाबी मूल के हैं। दिल्ली की राजनीति में पंजाबी फैक्टर बहुत मायने रखती है। इसलिए उनके नाम पर चर्चा हुई है। वे कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। यदि पार्टी दलित को आगे करती है तो राजेश लिलोठिया बाजी मार सकते हैं। लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का एक बड़े वर्ग ने वोट के जरिए कांग्रेस में फिर से भरोसा जताया था। इसलिए कहा यह भी जा रहा है कि हारून यूसुफ के सिर भी दिल्ली नेतृत्व का ताज सज सकता है।
इससे इतर चुनाव तैयारी में भाजपा भी जुट गई है। हाल में ही पार्टी ने सदस्यता अभियान खत्म किया है। इस बार यहां पार्टी ने रिकॉर्ड 10 लाख से ज्यादा नए सदस्य बनाएं हैं। इन नए सदस्यों को पार्टी से मजबूती से जोड़ने की रणनीति बन रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसके लिए कॉलोनीवार और बूथ स्तर पर काम किया जाएगा। नए सदस्यों से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता लगातार संपर्क बनाए रहेंगे। उन्हें केंद्र की योजनाओं के बारे में बताएगा। इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने दिल्ली के नेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे 2015 में केजरीवाल के वादों और कामों का विश्लेषण करें। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर केजरीवाल सरकार की कमियों को सबके सामने लाएं। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता कहते हैं, 'आम आदमी पार्टी की नींव कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ पड़ी थी। अब वही केजरीवाल आर्थिक अनियमितताओं में लिप्त हैं।'
वहीं, केजरीवाल की पूरी राजनीति अभी भी फ्री सेवा देने की घोषणा पर टिकी हुई है। 2015 में 'बिजली हाफ -पानी माफ़' का नारा दिया था। इस बार उन्होंने पानी का बकाया बिल पूर्णतः माफ करने की घोषणा की है। इससे पहले महिलाओं को डीटीसी और मेट्रो में निःशुल्क यात्रा की घोषणा की थी। उस वक्त कुछ लोगों ने इसकी आलोचना की थी। अब मेट्रो में निःशुल्क यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फटकार दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के निर्माण की समीक्षा करने के दौरान लगाई। कोर्ट ने कहा कि यदि महिलाओं को मेट्रो में नि:शुल्क यात्रा कराया गया तो डीएमआरसी को भारी नुकसान होगा। इससे मेंटनेंस और अन्य सुविधाएं प्रभावित होंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इससे डीएमआरसी को अनुमानत: 1,500 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान होगा। न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुसर्वोच्च न्यायलय की पीठ ने आप सरकार से कहा कि वह जनता के पैसे का समुचित तरीके से इस्तेमाल करे। लोगों को निःशुल्क सेवा देने से बचे।