उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर इस साल जनवरी से मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग किये जाने का परिणाम सुखद रहा है। दोनों ही स्टेशनों पर इस पहल से प्लास्टिक की समस्या से निपटने में मदद मिली है। इसे देखते हुए अब इसे अन्य स्टेशनों पर भी शुरू किया जा रहा है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के मुताबिक रेल से सफर करने वाले यात्रियों को जल्दी ही 400 रेलवे स्टेशनों पर चाय, लस्सी समेत खाने-पीने की सभी वस्तुएं मिट्टी से बने गिलास और दूसरे बर्तनों में मिलने लगेगा। रेलवे मंत्रालय की इस पहल से जहां कुम्हारों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी वहीं प्लास्टिक यूज करने पर रोक लगाई जा सकेगी। केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना का कहना है रेलवे की इस पहल के बाद कुम्हारों को 30,000 इलेक्ट्रिक चाक देने का फैसला किया गया है। इससे रोजाना 2 करोड़ कुल्हड़ और मिट्टी के सामान बनाये जा सकेंगे। यह प्रक्रिया अगले 15 दिन में शुरू होने की उम्मीद है। साथ ही मिट्टी के बने सामानों को रि-साइकल करने और उन्हें डिस्पोज करने के लिए ग्राइंडिंग मशीन भी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम इस साल 30,000 इलेक्ट्रिक चाक दे रहे हैं।'
गांव की तरफ बढ़ी सरकार